परीक्षा में चोरी की है कभी आपने, आजकल exams में cheating करने का प्रचलन बड़ी ही तेजी से बढ़ रहा है. लोग बिलकुल भी मेहनत करने से कतरा रहे है.
शॉर्टकट के चक्कर में परीक्षा में नक़ल करने जैसा जघन्य कदम उठा लेते है.
परीक्षा में चोरी या नक़ल | Cheating In Exams In Hindi
जो आचरण सही या अनुकरणीय नहीं है, उसे ‘कदाचार’ या ‘निन्दनीय आचरण’ कहते हैं। परीक्षा भवन में बैठ जाने के बाद अपनी स्मृति से न लिखकर किसी पुस्तक, उससे फाड़े गये पन्नों या चिट से चोरी कर के परीक्षा में लिखना, व्यर्थ अगल बगल ताक-झांक करना, दूसरों से पूछना या दूसरों को बतलाना आदि परीक्षा में नक़ल माने जाते हैं।
कारण इससे सही परीक्षा ली नहीं जा सकती और न परीक्षार्थी की योग्यता का ही सही ढंग से मूल्यांकन हो सकता है। फिर योग्यता के गलत मूल्यांकन से अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जो बड़े ही संदिलष्ट हैं।
की उदाहरण के लिए, परीक्षा में चोरी या नकल कर जो परीक्षार्थी अपनी योग्यता की तुलना में बहुत अधिक अंक ले आते हैं, वे अनजाने में ही उन सुयोग्य छात्रों का अवमूल्यन कर देते हैं, जो परीक्षा में किसी प्रकार के नक़ल की सहायता नहीं लेते – अपितु शुद्ध भाव से अपनी तैयारी, स्मृति और मेधा के सहारे परीक्षा देते हैं।
अतः परीक्षा में चोरी अपने-आप में बड़ी हेय चीज है। यह परीक्षोत्तीर्ण विद्यार्थियों के रूप में गुवा वर्ग की एक ऐसी पीढ़ी को प्रश्रय देती है, जिनका व्यक्तित्व शाम की दृष्टि से एकदम उचला या खोसला होता है। फिर ये ही युवक डिग्रीधारी होकर सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं। आजीविका के लिए उनका पैसा चाहना या करना स्वाभाविक भी है।
पर, उसका परिणाम क्या होता है ? सामाजिक जीवन में चारों ओर स्तरहीनता का साम्राज्य चुपचाप फैलता रहता है।
बात एकदम स्पष्ट है। वास्तविक योग्यता के अभाव में परीक्षा में नक़ल की सहायता लेकर उत्तीर्ण हुआ और डिग्रीधारी बना कोई छात्र यदि आगे चलकर ‘शिक्षक’ बन जाएगा तो पढ़ाएगा क्या, यदि कोई पदाधिकारी बन जाएगा तो अपना काम सही ढंग से कर पाएगा क्या !
आज के सामाजिक जीवन में व्याप्त अराजकता में हम सभी इस आशंका की प्रतिध्वनियाँ हर क्षेत्र में पा सकते हैं।
परीक्षा में चोरी या नक़ल करना दंडनीय अपराध
इसीलिए परीक्षा में चोरी अपने आप में एक हेय कर्म है। शिक्षाशास्त्रियों और उनके अनुसार चलनेवाले शिक्षा क्षेत्र के पदाधिकारियों ने इसे एक दण्डनीय अपराध भी माना है। परीक्षा भवन में ताक-झांक या पूछ-ताछ करनेवाले परीक्षार्थी को परीक्षा भवन से निकाला जा सकता है। इसी प्रकार किसी किताब या चिट से नकल करते हुए पकड़े जाने पर उसे तीन वर्षों तक के लिए परीक्षा देने के सुअवसर या अधिकार से वंचित किया जा सकता है। परीक्षा भवन में छुरे चमकाकर आतंक फैलानेवाले परीक्षार्थी को उस गुडागर्दी या कदाचार के कारण गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा सकता है। पिछली परीक्षाओं में चोरी में लिप्त परीक्षार्थियों को उपयुक्त प्रकार के दण्ड भी दिये गये हैं और इसमें पहल प्रशासन ने की है। कदा चार में लिप्त परीक्षार्थी गिरफ्तार कर जेल ले जाये गये हैं और उनपर मुकदमे भी चलाये गये हैं।
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परीक्षा में होने वाली चोरी के मुख्य कारण
सवाल है, परीक्षा में कदाचार होता क्यों है ? इसके प्रेरक कारण कौन से हैं ? इस शैक्षणिक सामाजिक रोग को दूर कैसे किया जा सकता है ?
परीक्षा में कदाचार के लिए केवल छात्र कतई दोषी नहीं हैं। शिक्षा क्षेत्र में राजनीति का अनुचित हस्तक्षेप, शिक्षा क्षेत्र का कभी छात्रों, कभी कर्मचारियों और कभी शिक्षकों के आन्दोलन से जर्जर होना; पाठ्यक्रम का ठीक से समापन न होना; शिक्षकों की शिक्षणेतर कार्यों में बढ़ती व्यस्तता; पाठ्यक्रम के दायरे के बाहर से प्रश्नों का पूछा जाना, सामाजिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार और उसके कारण तथाकथित सफलता पानेवालों के आचरण से मिलनेवाली उत्तेजना आदि अनेक कारण हैं। इन कारणों का एक-एक कर समाधान करना होगा । बेरोजगारी के आतंक के कारण शिक्षा प्राप्त करती युवा पीढ़ी की आस्था जो पीधा इन कारणों एवं णिक मान-मूल्यों में हिल गयी है, उसे रोजगार मुहैया कराकर फिर से सुदृढ़ करना होगा। पढ़ाई की सम्यक् ढंग से समाप्ति पर जोर देना होगा और प्रश्नों के पूछा जाने का ढंग दर्रा बदलना होगा। अच्छे छात्रों को प्रोत्साहन भी देना होगा ।
इधर शिक्षा नीति में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन किये जा रहे हैं। शिक्षा का विकेन्द्रीकरण किया जा रहा है। शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जा रहा है और डिग्रियों का महत्व कम किया जा रहा है। राष्ट्रीय योजना भी बनायी जा रही है।
Google DSC के डेवलपर कम्युनिटी को लीड कर चुके शिवम सैंकड़ो लोगों को गूगल क्लाउड, web एवं एंड्राइड जैसी तकनीकों में प्रशिक्षण दे चुकें हैं. तकनिकी छेत्र में शिवम को महारत हासिल है. वे स्टार्टअप, सोशल मीडिया एवं शैक्षणिक विषयों पर टपोरी चौक वेबसाइट के माध्यम से जानकारियां साझा करतें हैं. वर्तमान में शिवम एक इंजिनियर होने के साथ साथ गूगल crowdsource के इन्फ्लुएंसर, टपोरी चौक एवं सॉफ्ट डॉट के संस्थापक इसके अलावा विभिन्न स्टार्टअप में भागीदारी निभा रहें हैं.