मैसेजिंग ऐप्स की दुनिया में आजकल क्या नही हो रहा है! जहां एक तरफ हम लोग WhatsApp पर ‘गुड मॉर्निंग’ मैसेज फॉरवर्ड कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ Telegram के बॉस ने एक ऐसी ‘चुनौती’ फेंक दी है कि मामला सीधा कोर्ट-कचहरी से निकलकर, अब ‘मीम-कचहरी’ तक पहुंच गया है!
जी हां, ख़बर ये है कि Telegram के मालिक Pavel Durov ने एक मज़ेदार कॉन्टेस्ट शुरू किया है: जो कोई भी WhatsApp को सबसे तगड़ा ‘रोस्ट’ करेगा, उसे $50,000 (करीब 42 लाख रुपये) तक का इनाम मिलेगा! ये कोई मज़ाक नहीं है, ये बिल्कुल ऑफिशियल है. लेकिन, WhatsApp को ‘रोस्ट’ करने का मतलब क्या है? और Durov साहब को ऐसी क्या खुजली हुई कि उन्होंने सीधा ‘खुली जंग’ का ऐलान कर दिया?

आइए, टपोरी चौक के अंदाज़ में, इस ‘ऐप-युद्ध’ की पूरी कहानी समझते हैं, जहां मीम्स और वीडियो ही अब सबसे बड़े हथियार बन गए हैं!
जब ‘बड़े भाई’ ने कहा: ‘तुम मेरे फीचर्स कॉपी करते हो, अब भुगतो!’
तो हुआ यूं कि Telegram के बॉस Pavel Durov कई सालों से ये दावा करते आ रहे हैं कि WhatsApp उनके फीचर्स को कॉपी करता है. मतलब, Telegram कोई नया फ़ीचर लाए, तो कुछ समय बाद WhatsApp उसे अपने यहाँ उतार लेता है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि आप कोई नई ड्रेस खरीदें, और आपका पड़ोसी कुछ ही दिन बाद वैसी ही ड्रेस पहनकर आ जाए! ये बात Durov को अंदर ही अंदर चुभती रही होगी.
अब Durov का कहना है कि WhatsApp ने हाल ही में उनके खिलाफ एक ‘स्मियर कैंपेन’ (छवि खराब करने वाला अभियान) चलाया है. यानी, उनकी बुराई फैलाई है. बस, इसी से Durov साहब का पारा हाई हो गया! उन्होंने सीधे ऐलान कर दिया कि अब ‘ग्लोव्स ऑफ’ हैं, मतलब अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. और ‘बदला’ लेने का तरीका भी ऐसा चुना कि पूरी दुनिया देखे!
कॉन्टेस्ट का फ़ॉर्मेट: ‘मीम’ बनाओ, माल कमाओ!
तो ये $50,000 कैसे मिलेंगे? Telegram ने बताया है कि आपको एक छोटा, 180 सेकंड (3 मिनट) से ज़्यादा नहीं, का एक वायरल वीडियो बनाना होगा. इस वीडियो में WhatsApp को ‘रोस्ट’ करना है, लेकिन कैसे?
- ‘कॉपीकैट’ साबित करो: वीडियो में ये दिखाना है कि कैसे Telegram ने WhatsApp से सालों पहले ही कई धांसू फ़ीचर लॉन्च कर दिए थे, जिन्हें WhatsApp ने बाद में ‘कॉपी’ किया. Telegram ने खुद 30 ऐसे फ़ीचर्स की लिस्ट भी दी है, ताकि आपको ‘रिसर्च’ में ज़्यादा दिमाग न लगाना पड़े!
- अंग्रेजी में ‘ज्ञान’ और ‘मस्ती’: वीडियो में अंग्रेजी में टेक्स्ट भी हो और बोला भी जाए. मतलब, देसी कंटेंट चलेगा, लेकिन भाषा ग्लोबल चाहिए, ताकि दुनिया भर में ये ‘रोस्ट’ वीडियो देखा जाए.
- AI की ‘मदद’: Durov ने ये भी कहा है कि आप वीडियो बनाने में AI टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. मतलब, क्रिएटिविटी पर कोई पाबंदी नहीं!
- वायरल होने का ‘पोटेंशियल’: वीडियो का मूल्यांकन इस बात पर होगा कि वो कितना साफ़ है, दिखने में कितना असरदार है, उसमें मीम बनने की कितनी क्षमता है, और वो कितना वायरल हो सकता है.
ये वीडियो TikTok, Instagram Reels और YouTube Shorts जैसे छोटे वीडियो प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए बनाए जाने थे. मतलब, पूरा मकसद था कि ये ‘रोस्ट’ वीडियो जंगल की आग की तरह फैलें!
Durov की ‘चाल’ या WhatsApp की ‘बेचैनी’?
ये कॉन्टेस्ट सिर्फ एक ‘मज़ाक’ नहीं है. इसके पीछे Telegram की एक सोची-समझी मार्केटिंग रणनीति है:
- ब्रांडिंग: ये बताता है कि Telegram खुद को हमेशा ‘इनोवेटर’ मानता है, जो नए-नए फ़ीचर पहले लाता है. और WhatsApp को वो ‘धीमी गति’ वाला ऐप मानता है, जो बस दूसरे के आइडिया कॉपी करता है.
- यूज़र अटेंशन: इतने बड़े इनाम की घोषणा से लोगों का ध्यान Telegram की तरफ जाता है. लोग इस कॉन्टेस्ट के बारे में बात करते हैं, वीडियो बनाते हैं, जिससे Telegram का नाम और चर्चा में आता है.
- कम्युनिटी इंगेजमेंट: अपने यूज़र्स को सीधा कॉन्टेस्ट में शामिल करना, उन्हें अपने ब्रांड का हिस्सा बनाना, ये कम्युनिटी को मज़बूत करता है.
अब WhatsApp के लिए ये थोड़ी ‘बेचैनी’ वाली बात हो सकती है. उनके करोड़ों यूज़र्स हैं, लेकिन जब कोई प्रतिद्वंद्वी खुलेआम आपको ‘कॉपीकैट’ बोले और उसके लिए इनाम भी रखे, तो ये इज़्ज़त का सवाल बन जाता है.
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तो क्या अब मीम्स से होगा ‘ऐप-युद्ध’ का फैसला?
ये कॉन्टेस्ट भले ही अब ख़त्म हो चुका है (26 मई 2025 को सबमिशन की डेडलाइन थी), और जून में इसके परिणाम आने की उम्मीद है. लेकिन इसने एक बात साफ़ कर दी है: डिजिटल दुनिया में अब ‘युद्ध’ सिर्फ टेक्नोलॉजी और फ़ीचर्स का नहीं रहा. ये अब मार्केटिंग, ब्रांडिंग और ‘मीम-वार’ तक पहुंच गया है.
Pavel Durov ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को खुलेआम चुनौती दी, अपने यूज़र्स को क्रिएटिव होने का मौका दिया, और अपनी ब्रांड इमेज को ‘इनोवेटिव’ और ‘अटैक मोड’ पर दिखाया.
अब देखना ये होगा कि Telegram इस ‘मीम-युद्ध’ में कितना सफल होता है, और क्या सच में ‘मीम्स’ भविष्य में ऐप कंपनियों की किस्मत का फैसला कर पाएंगे! बाकी, आप बताइए, अगर आपको मौका मिलता, तो आप WhatsApp को कैसे ‘रोस्ट’ करते? कमेंट बॉक्स में बताइए!
Google DSC के डेवलपर कम्युनिटी को लीड कर चुके शिवम सैंकड़ो लोगों को गूगल क्लाउड, web एवं एंड्राइड जैसी तकनीकों में प्रशिक्षण दे चुकें हैं. तकनिकी छेत्र में शिवम को महारत हासिल है. वे स्टार्टअप, सोशल मीडिया एवं शैक्षणिक विषयों पर टपोरी चौक वेबसाइट के माध्यम से जानकारियां साझा करतें हैं. वर्तमान में शिवम एक इंजिनियर होने के साथ साथ गूगल crowdsource के इन्फ्लुएंसर, टपोरी चौक एवं सॉफ्ट डॉट के संस्थापक इसके अलावा विभिन्न स्टार्टअप में भागीदारी निभा रहें हैं.