अलविदा Pocket: आपकी ‘सेव फ़ॉर लेटर’ लाइब्रेरी का क्या होगा? जानें पूरा मामला और नए विकल्प!

ख़बर ये है कि एक ऐसी ऐप/सर्विस जो सालों से हमारे डिजिटल जीवन का हिस्सा थी, अब बंद होने जा रही है. जी हां, बात हो रही है Pocket की. वही Pocket, जो हमें इंटरनेट पर बिखरी ढेरों अच्छी-अच्छी चीज़ें – आर्टिकल्स, वीडियोज़, लिंक्स – ‘बाद में पढ़ने’ या ‘बाद में देखने’ के लिए सहेजने में मदद करता था. अब ‘बाद’ का वो समय कभी नहीं आएगा, क्योंकि Pocket खुद ही अलविदा कह रहा है.

ऑफिशियल वेबसाइट (getpocket.com/farewell) पर आए इस ऐलान ने उन लाखों यूज़र्स को चिंता में डाल दिया है, जो सालों से इस सर्विस पर निर्भर थे. ये सिर्फ एक ऐप का बंद होना नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में हमारे कंटेंट को सहेजने के तरीके में एक बड़े बदलाव का संकेत है.

pocket announced shutdown

क्या है Pocket और क्यों थी ये इतनी ख़ास?

अगर आप उन लोगों में से हैं जो इंटरनेट पर कुछ पढ़ते-पढ़ते सोचते हैं, “अरे वाह! ये तो बाद में तसल्ली से पढ़ना चाहिए”, तो Pocket आपके लिए ही बना था. ये एक ‘रीड-इट-लेटर’ (read-it-later) सर्विस थी, जिसे 2007 में ‘Read It Later’ के नाम से लॉन्च किया गया था. बाद में इसे Pocket नाम दिया गया.

इसकी खासियतें जो इसे पॉपुलर बनाती थीं:

  • कहीं भी, कभी भी पढ़ो: आप किसी भी डिवाइस (फ़ोन, टैबलेट, कंप्यूटर) से कोई भी आर्टिकल या वीडियो Pocket में सेव कर सकते थे. फिर आप उसे ऑफलाइन, बिना इंटरनेट के, अपनी सुविधानुसार कभी भी पढ़ या देख सकते थे.
  • क्लीन रीडिंग एक्सपीरियंस: Pocket सेव किए गए आर्टिकल्स से विज्ञापनों और बेवजह के डिज़ाइन को हटाकर एक साफ-सुथरा रीडिंग व्यू देता था, जिससे सिर्फ़ कंटेंट पर फोकस रहता था.
  • डिस्कवरी और रिकमेंडेशन: ये यूज़र्स की रीडिंग हैबिट्स के हिसाब से नए आर्टिकल्स और वीडियोज़ भी सुझाता था, जिससे नया कंटेंट खोजने में मदद मिलती थी.
  • Firefox से जुड़ाव: Mozilla (Firefox ब्राउज़र बनाने वाली कंपनी) ने इसे 2017 में खरीद लिया था, जिससे इसकी पहुंच और विश्वसनीयता काफी बढ़ गई थी.

ये उन लोगों के लिए एक वरदान था जो जानकारी को सहेज कर रखना चाहते थे, लेकिन उनके पास तुरंत पढ़ने का समय नहीं होता था. छात्र, रिसर्चर, कंटेंट क्रिएटर और आम पाठक, सभी इसका इस्तेमाल करते थे.


Pocket क्यों ले रहा है ‘संन्यास’?

किसी भी पॉपुलर सर्विस का बंद होना कई सवाल खड़े करता है. हालांकि ऑफिशियल अनाउंसमेंट में शायद कारणों को विस्तार से न बताया गया हो, लेकिन आमतौर पर ऐसी स्थितियों के पीछे कुछ वजहें होती हैं:

  • वित्तीय चुनौतियाँ: शायद Pocket, Mozilla के लिए अपेक्षित रेवेन्यू (राजस्व) नहीं बना पा रहा था. फ्री सर्विस होने के नाते, इसका बिज़नेस मॉडल विज्ञापनों या प्रीमियम फीचर्स पर निर्भर करता है, जो शायद पर्याप्त नहीं थे.
  • बढ़ती प्रतिस्पर्धा: आजकल कई ब्राउज़र और ऐप्स में इन-बिल्ट ‘रीडिंग लिस्ट’ या ‘रीड-इट-लेटर’ फीचर्स आ गए हैं. साथ ही, Evernote, Notion, OneNote जैसे नोट-टेकिंग ऐप्स भी कंटेंट सेव करने की सुविधा देते हैं. ऐसे में Pocket के लिए अपनी जगह बनाए रखना मुश्किल हो गया होगा.
  • रणनीतिक बदलाव: हो सकता है कि Mozilla अपनी मुख्य प्राथमिकताओं (जैसे ब्राउज़र डेवलपमेंट) पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहता हो और Pocket को अब उनके दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों में फिट न पा रहा हो.
  • कमज़ोर यूज़र एंगेजमेंट: हो सकता है कि भले ही लाखों लोग Pocket का इस्तेमाल करते हों, लेकिन एक्टिव यूज़र एंगेजमेंट (यानी लोग रोज़ाना कितना इस्तेमाल कर रहे हैं) कम हो गया हो, जिससे इसके भविष्य को लेकर सवाल उठे हों.

Pocket यूज़र्स का क्या होगा? कैसे बचाएं अपना ‘ज्ञान का ख़ज़ाना’?

ये उन सभी के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने सालों से Pocket में अपना ‘डिजिटल लाइब्रेरी’ बना रखा था. अब सवाल ये है कि वहां सहेजे गए कंटेंट का क्या होगा? क्या वो सब ख़त्म हो जाएगा?

चिंता मत कीजिए, अक्सर ऐसी स्थितियों में कंपनी यूज़र्स को अपना डेटा एक्सपोर्ट करने का विकल्प देती है.

  • डाटा एक्सपोर्ट करें: Pocket की तरफ से शायद कुछ दिनों या हफ्तों का समय दिया जाएगा, जिसमें यूज़र्स अपने सेव किए गए सभी आर्टिकल्स, लिंक्स और डेटा को एक फाइल के रूप में डाउनलोड कर सकें. ये फाइल आमतौर पर HTML या JSON फॉर्मेट में होती है. ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़ें और जल्द से जल्द अपना डेटा एक्सपोर्ट कर लें.
  • विकल्पों की तलाश करें: अब आपको Pocket के विकल्प ढूंढने होंगे. मार्केट में कुछ अच्छे विकल्प मौजूद हैं:
    • Instapaper: Pocket की तरह ही एक पॉपुलर रीड-इट-लेटर सर्विस है. इसमें भी क्लीन रीडिंग व्यू और ऑफलाइन एक्सेस मिलता है.
    • Evernote/Notion/OneNote: ये नोट-टेकिंग ऐप्स हैं, लेकिन इनमें भी वेब पेज और आर्टिकल्स सेव करने की सुविधा होती है.
    • Browser’s Reading List: Google Chrome, Firefox और Safari जैसे ब्राउज़र में अपनी ‘रीडिंग लिस्ट’ होती है, जहां आप लिंक्स सेव कर सकते हैं. ये हालांकि Pocket जितने एडवांस्ड नहीं होते, लेकिन बेसिक ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं.
    • Raindrop.io: ये एक बेहतरीन बुकमार्किंग और कंटेंट मैनेजमेंट टूल है, जो टैग्स और कलेक्शन के साथ आपके कंटेंट को व्यवस्थित रखता है.
    • Matter: एक नया और एडवांस्ड रीड-इट-लेटर ऐप जो रीडिंग, हाइलाइटिंग और नोट्स पर फोकस करता है.

डिजिटल दुनिया में ‘स्थायित्व’ का सवाल

Pocket का बंद होना एक बार फिर ये सवाल खड़ा करता है कि डिजिटल दुनिया में कोई भी सर्विस या ऐप कितनी टिकाऊ है. हम अपनी सारी जानकारी, अपने पसंदीदा आर्टिकल्स, नोट्स, तस्वीरें – सब कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर सहेज कर रखते हैं. लेकिन जब कोई सर्विस बंद होती है, तो हमें अहसास होता है कि ये ‘स्थायित्व’ कितना मायावी है.

इसलिए, हमेशा सलाह दी जाती है कि महत्वपूर्ण डेटा का बैकअप ज़रूर रखें और किसी एक सर्विस पर पूरी तरह से निर्भर न रहें. Pocket का ‘अलविदा’ कहना उन लाखों यूज़र्स के लिए एक कड़वी गोली ज़रूर है, लेकिन ये हमें डिजिटल दुनिया में अपने डेटा को लेकर और ज़्यादा सतर्क रहने का एक ज़रूरी सबक भी सिखाता है.

तो, अगर आप भी Pocket यूज़र हैं, तो बिना देर किए अपनी डिजिटल लाइब्रेरी को बचाने की कवायद में जुट जाएं. क्योंकि, ‘सेव फ़ॉर लेटर’ अब ‘सेव राइट नाउ, और कहीं’ हो गया है!

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