AI Search में Backlinks से रैंक करें | Expert Opinion In Hindi

आजकल मार्केट में एक गरमा-गरम बहस चल रही है, खासकर हम जैसे SEO वालों के बीच. सवाल ये है कि क्या बैकलिंक्स का जलवा अब भी चलेगा AI-पावर्ड सर्च जैसे ChatGPT, Perplexity और Gemini में? या फिर AI देवता कुछ और ही मांग रहे हैं? मेरे जैसे SEO एक्सपर्ट्स से भी यही सवाल पूछा जा रहा है, और इसका जवाब जानने के लिए मैंने भी ज़रा अपनी खुराफात वाली टोपी पहन ली है.

तो सुनिए, इस मुद्दे पर मेरी यानी शिवम् पाण्डेय की एक्सपर्ट राय!

Expert opinion on AI Search

AI Search: नया खिलाड़ी, पुराने नियम?

देखो भाई, पहले Google जैसे ट्रेडिशनल सर्च इंजन कैसे काम करते थे? वो Keywords, Content Quality, Technical SEO और सबसे बढ़कर Backlinks को बहुत तवज्जो देते थे. बैकलिंक्स को वो एक तरह से “वोट” मानते थे – जितनी ज्यादा भरोसेमंद वेबसाइट्स आपकी तरफ इशारा करेंगी, उतना ही आपका कंटेंट भरोसेमंद माना जाएगा और उतना ही ऊपर आपकी रैंकिंग होगी.

लेकिन अब आ गए हैं ये AI वाले सर्च इंजन. ये सिर्फ लिंक की लिस्ट नहीं दिखाते, बल्कि सीधे जवाब देते हैं, समरी बनाकर देते हैं. तो क्या ऐसे में बैकलिंक्स की जरूरत खत्म हो गई? क्या अब सिर्फ AI को खुश करने वाला कंटेंट ही चलेगा?

मेरा सीधा जवाब है: नहीं! बैकलिंक्स अब भी किंग हैं, बस उनका रोल थोड़ा बदल गया है, या यूं कहिए कि और भी ज्यादा ‘स्मार्ट’ हो गया है.


क्यों AI Search में भी बैकलिंक्स का दम बरकरार है?

आइए, विस्तार से समझते हैं कि क्यों AI की दुनिया में भी बैकलिंक्स की अहमियत कम नहीं हुई है:

1. अथॉरिटी और ट्रस्ट का ‘आधार स्तंभ’

AI मॉडल्स, चाहे वो ChatGPT हो, Gemini हो या Perplexity, ये सब इंटरनेट पर मौजूद अरबों-खरबों डेटा पर ट्रेन होते हैं. और इस डेटा में, क्वालिटी कंटेंट को पहचानने का एक बड़ा तरीका है उस कंटेंट की अथॉरिटी (Authority) और विश्वसनीयता (Trustworthiness).

  • [Your Name] का मानना है कि: “AI सिस्टम्स भी वही सोर्सेज़ उठाते हैं जो उन्होंने अपने ट्रेनिंग डेटा में विश्वसनीय पाए हैं. और इस विश्वसनीयता का एक बड़ा पैमाना आज भी हाई-क्वालिटी बैकलिंक्स हैं.”
  • सोचिए, अगर किसी टॉपिक पर कोई सरकारी वेबसाइट (.gov) या कोई जानी-मानी यूनिवर्सिटी (.edu) आपकी साइट को लिंक कर रही है, तो AI उसे तुरंत एक अथॉरिटेटिव सोर्स मानेगा. ये एक तरह से AI के लिए आपकी वेबसाइट का “पार्टी वाला रेफरेंस” है!

2. डिस्कवरी और इंडेक्सिंग में मदद

AI सर्च इंजन को भी आपके कंटेंट को ढूंढना और समझना पड़ता है ताकि वो उसे अपने डेटाबेस में शामिल कर सकें (इंडेक्स कर सकें). बैकलिंक्स इस प्रोसेस को तेज और आसान बनाते हैं.

  • जब कोई अथॉरिटेटिव साइट आपको लिंक करती है, तो AI बॉट्स उस लिंक को फॉलो करके आपकी साइट तक जल्दी पहुंचते हैं.
  • ये AI को सिग्नल देता है कि “हाँ, ये साइट महत्वपूर्ण है, इसे और गहराई से क्रॉल करो और इसके कंटेंट को समझो.”

3. सिमेंटिक अंडरस्टैंडिंग और कॉन्टेक्स्ट

AI सिर्फ कीवर्ड नहीं देखता, वो पूरे कॉन्टेक्स्ट को समझता है. बैकलिंक्स AI को ये समझने में भी मदद करते हैं कि आपका कंटेंट किस टॉपिक से जुड़ा है और कितना रिलेवेंट है.

  • अगर आपकी कार रिव्यू वाली वेबसाइट को “ऑटोमोबाइल न्यूज़” वाली किसी बड़ी साइट से लिंक मिलता है, तो AI को साफ सिग्नल मिलता है कि आपकी साइट कारों के बारे में बात करती है और उस फील्ड में भरोसेमंद है.
  • ये AI को आपके कंटेंट की सिमेंटिक रिलेवेंस (Semantic Relevance) समझने में मदद करता है, जिससे वो यूजर की क्वेरी का सटीक जवाब दे पाता है.

4. “Featured Snippets” और “AI Overviews” में दिखने का चांस

Google के AI Overviews (या SGE) और Perplexity जैसे AI सर्च इंजन सीधे जवाब देते हैं और उन जवाबों में सोर्सेज़ को साइट करते हैं. अगर आपका कंटेंट उन सोर्सेज़ में शामिल हो जाता है, तो आपको जबरदस्त विजिबिलिटी मिलती है.

  • कई स्टडीज बताती हैं कि जो पेजेस Google के पारंपरिक SERP (Search Engine Results Page) में टॉप पर होते हैं, उनके AI Overviews में भी फीचर होने के चांसेज़ कई गुना बढ़ जाते हैं. और पारंपरिक रैंकिंग में बैकलिंक्स का रोल तो आपको पता ही है.
  • [Your Name] कहते हैं: “AI सर्च इंजन सिर्फ उन्हीं सोर्सेज़ पर भरोसा करते हैं जिनकी खुद की ऑनलाइन अथॉरिटी मजबूत हो. और ये अथॉरिटी बिना क्वालिटी बैकलिंक्स के बन ही नहीं सकती.”

5. ब्रांड बिल्डिंग और क्रेडिबिलिटी

बैकलिंक्स सिर्फ रैंकिंग के लिए नहीं होते, वो आपकी ब्रांड को भी मजबूत करते हैं. जब अलग-अलग जगहों पर आपकी वेबसाइट का जिक्र होता है, तो आपकी ब्रांड रिकॉग्निशन बढ़ती है, और लोग आप पर ज्यादा भरोसा करते हैं. AI भी इसी क्रेडिबिलिटी को पहचानता है.


तो फिर AI Search के लिए बैकलिंक कैसे बनाएं?

अब सवाल ये है कि “गुरुजी, बैकलिंक तो ठीक है, पर AI वाले जमाने में कैसे बनाएं?” जवाब है – क्वालिटी, कॉन्टेक्स्ट और रिलेवेंस पर फोकस!

  1. हाई-क्वालिटी कंटेंट: सबसे पहले तो ऐसा कंटेंट बनाओ जो वाकई में किसी काम का हो, डीटेल्ड हो, और लोगों के सवालों का जवाब दे. अगर आपका कंटेंट ही दमदार नहीं होगा, तो कोई लिंक क्यों देगा?
  2. अथॉरिटेटिव सोर्सेज़ से लिंक: किसी भी पुरानी वेबसाइट से लिंक लेने की बजाय, अपनी इंडस्ट्री की टॉप अथॉरिटी वाली वेबसाइट्स (जैसे न्यूज़ पोर्टल्स, एजुकेशनल साइट्स, रिसर्च इंस्टीट्यूट्स, सरकारी वेबसाइट्स) से लिंक लेने की कोशिश करो. एक ऐसा लिंक सैकड़ों साधारण लिंक्स पर भारी पड़ सकता है.
  3. टॉपिकल अथॉरिटी पर फोकस: सिर्फ एक पेज के लिए नहीं, बल्कि पूरी वेबसाइट के लिए किसी खास टॉपिक पर अथॉरिटी बनाओ. जैसे अगर आप हेल्थ के बारे में लिखते हैं, तो सिर्फ “डायबिटीज” पर ही नहीं, बल्कि “ब्लड शुगर मैनेजमेंट”, “इंसुलिन रेजिस्टेंस” जैसे जुड़े हुए टॉपिक्स पर भी क्वालिटी कंटेंट बनाओ और उन पर लिंक लो.
  4. रियल आउटरीच और रिलेशनशिप बिल्डिंग: “स्पैम” वाले तरीके छोड़ो. लोगों से जुड़ो, उनके कंटेंट में वैल्यू ऐड करो, और जब मौका मिले, तो अपनी वेबसाइट का जिक्र करने या लिंक देने का सुझाव दो.
  5. E-E-A-T का सिद्धांत: Google का ये सिद्धांत AI सर्च के लिए और भी जरूरी हो गया है – Experience, Expertise, Authoritativeness, and Trustworthiness. बैकलिंक्स इन चारों पिलर्स को मजबूत करने में मदद करते हैं.

चलते-चलते!

आखिर में, मेरी यानी शिवम् पाण्डेय की राय ये है कि AI सर्च इंजन बेशक स्मार्ट हो गए हैं और सिर्फ कीवर्ड स्टफिंग या क्वांटिटी पर ध्यान नहीं देते. लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि बैकलिंक्स अब मायने नहीं रखते. बल्कि, उनकी अहमियत और बढ़ गई है, खासकर क्वालिटी और रिलेवेंट बैकलिंक्स की.

AI उन सोर्सेज़ पर भरोसा करेगा जिनकी ऑनलाइन दुनिया में धाक है, जिनका कंटेंट भरोसेमंद माना जाता है. और इस धाक को बनाने में आज भी बैकलिंक्स का रोल सबसे बड़ा है. तो अपनी लिंक बिल्डिंग स्ट्रेटेजी को AI के हिसाब से ‘स्मार्ट’ बनाओ, क्वालिटी पर फोकस करो, और देखोगे कि AI सर्च में भी आपकी दुकान खूब चमकेगी!

और कोई सवाल हो तो comment में बता देना, बाकी ज्ञान जारी रहेगा!

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