गूगल ने फिर से ऐसा कमाल कर दिखाया है कि दुनिया के बड़े-बड़े फिल्ममेकर्स भी अपना माथा खुजला रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ‘Veo 3’ की। नाम भले ही अभी कम सुना हो, लेकिन ये वो चीज़ है जो वीडियो बनाने के तरीके को हमेशा के लिए बदलने वाली है। अब आपको कैमरा, क्रू, लोकेशन का झंझट नहीं पालना पड़ेगा। बस दिमाग चलाओ और AI से वीडियो बनवाओ! तो क्या है ये Google Veo 3, कैसे काम करता है, और क्या सच में अब हर कोई घर बैठे फ़िल्में बना पाएगा? चलो, आसान भाषा में समझते हैं, बिलकुल टपोरी चौक के स्टाइल में!

क्या है ये Google Veo 3, बवाल क्यों मचा है?
सीधा सा फंडा है: Veo 3 गूगल का नया AI मॉडल है जो टेक्स्ट को वीडियो में बदलता है। मतलब, आप इसे कुछ लिख कर दोगे – जैसे “एक बिल्ली जंगल में भाग रही है, पीछे से शेर आ रहा है, बिल्ली पेड़ पर चढ़ जाती है” – और Veo 3 आपको उसका पूरा वीडियो बनाकर दे देगा!
पहले भी ऐसे AI टूल्स थे, लेकिन Veo 3 ने जो किया है, वो है ‘अगले लेवल’ की रियलिस्टिक और लंबी वीडियो बनाना। गूगल का दावा है कि Veo 3 न सिर्फ़ अच्छी क्वालिटी के वीडियो बनाता है, बल्कि उनमें इंसानों और जानवरों के मूवमेंट भी बहुत नैचुरल दिखते हैं। यानी, अब वो रोबोटिक या अजीबोगरीब मूवमेंट नहीं दिखेंगे, जो पहले वाले AI वीडियो में आते थे।
क्यों है ये इतना खास?
- लंबी क्लिप्स: Veo 3 एक बार में एक मिनट से ज़्यादा लंबी वीडियो क्लिप्स बना सकता है। पहले के AI टूल्स कुछ सेकंड की क्लिप्स ही बना पाते थे, फिर उन्हें जोड़ना पड़ता था।
- हाई क्वालिटी (1080p): जो वीडियो बनते हैं, वो 1080p यानी फुल HD क्वालिटी के होते हैं। मतलब, दिखने में एकदम क्रिस्प और साफ़।
- नैचुरल मूवमेंट: AI को इंसानों और जानवरों के नैचुरल मूवमेंट बनाने में बहुत दिक्कत आती थी। Veo 3 इस समस्या को बहुत हद तक सुलझा चुका है। अब वीडियो में चीजें ऐसे चलेंगी, जैसे सच में चल रही हों।
- सिनेमैटिक कंट्रोल: आप वीडियो में कैमरा एंगल, सीन ट्रांजीशन, लाइटिंग, और स्टाइल जैसी चीज़ें भी बता सकते हो। यानी, ये सिर्फ़ वीडियो नहीं बनाता, बल्कि आपके बताए हिसाब से एक छोटी ‘फ़िल्म’ बनाता है।
कैसे काम करता है ये जादू? (मतलब, टेक्नोलॉजी क्या है?)
देखो, Veo 3 भी Gemini AI की ताकत का इस्तेमाल करता है। गूगल ने Veo 3 को बहुत सारे वीडियो और इमेज डेटा पर ट्रेन किया है। ये AI अब आपकी लिखी हुई बात को समझता है, और फिर अपने सीखे हुए डेटा से उस सीन को ‘इमेजिन’ करता है।
जैसे ही आप इसे प्रॉम्प्ट (जो आप लिख कर देते हो) देते हो, Veo 3 उस प्रॉम्प्ट के आधार पर एक-एक फ्रेम जनरेट करता है। ये सिर्फ़ फ्रेम नहीं बनाता, बल्कि ये भी समझता है कि एक फ्रेम से दूसरे फ्रेम में चीज़ें कैसे मूव करेंगी, लाइट कैसे बदलेगी, और बैकग्राउंड कैसा दिखेगा। ये सब कुछ एक साथ करके, वो एक मिनट या उससे लंबी वीडियो क्लिप तैयार कर देता है।
कौन इस्तेमाल कर रहा है इसे, और क्या इसका मतलब?
अभी Veo 3 आम लोगों के लिए नहीं आया है। गूगल इसे चुनिंदा फिल्ममेकर्स और क्रिएटर्स के साथ टेस्ट कर रहा है। जैसे, डोनाल्ड ग्लोवर (Donald Glover) और उनकी क्रिएटिव एजेंसी Gilga ने Veo 3 का इस्तेमाल करके कुछ शॉर्ट फ़िल्में बनाई हैं।
इसका मतलब ये है:
- छोटे बजट की फ़िल्में: अगर कोई डायरेक्टर कम बजट में कोई आइडिया टेस्ट करना चाहता है, तो वो Veo 3 से वीडियो बनवाकर देख सकता है।
- एडवरटाइजिंग: छोटे बिज़नेस अब अपने प्रोडक्ट्स के लिए प्रोफेशनल क्वालिटी के एड वीडियो बिना लाखों खर्च किए बनवा सकते हैं।
- कंटेंट क्रिएटर्स: यूट्यूबर्स, इंस्टाग्राम क्रिएटर्स अब अपने कंटेंट के लिए बिलकुल नई तरह की विजुअल्स बना पाएंगे।
- आइडिया टेस्टिंग: अगर आपके पास कोई कहानी या स्क्रिप्ट है, तो आप Veo 3 से उसका एक छोटा सा वीडियो बनाकर देख सकते हो कि वो स्क्रीन पर कैसा दिखेगा।
क्या सच में अब हर कोई फिल्म डायरेक्टर बन जाएगा?
देखो, ‘हर कोई फिल्म डायरेक्टर बन जाएगा’ कहना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी। Veo 3 एक ज़बरदस्त टूल है, लेकिन ये सिर्फ़ एक ‘टूल’ है।
पॉजिटिव साइड:
- रचनात्मकता की नई उड़ान: अब आइडियाज़ को स्क्रीन पर लाने की लागत और मुश्किल कम हो गई है। जिनके पास बड़े कैमरे या टीम नहीं है, वो भी अपनी कहानी सुना पाएंगे।
- स्पीड और लागत में कमी: किसी वीडियो को बनाने में महीनों लग जाते थे, अब AI से वो घंटों में बन जाएगा।
- एक्सपेरिमेंट करने की आज़ादी: अलग-अलग सीन और स्क्रिप्ट्स को आसानी से टेस्ट किया जा सकता है।
लेकिन, मुश्किलें भी हैं:
- कहानी अभी भी इंसान ही लिखेगा: AI वीडियो बना देगा, लेकिन उसके पीछे की इमोशन, डायलॉग, और दमदार कहानी तो इंसान का दिमाग ही लिखेगा।
- कलाकारी की कमी: AI अभी भी वो सूक्ष्म भावनाएं या ‘आर्टिस्टिक टच’ नहीं ला सकता, जो एक इंसान ला सकता है।
- कॉपीराइट का झंझट: AI जो वीडियो बना रहा है, उसका सोर्स क्या है? उसमें कहीं कॉपीराइटेड मटेरियल तो नहीं है? ये सब अभी सवालों के घेरे में है।
- AI का ‘भ्रम’ (Hallucination): AI कभी-कभी ऐसी चीज़ें बना देता है जो लॉजिकल नहीं होतीं या देखने में अजीब लगती हैं।
यदि आप भी विडियो क्रिएटर या सोशल मीडिया Influencer हैं, तो निचे दिए गए बटन पे जा के हमारे instagram growth program के बारे में जान सकतें हैं और उसका हिस्सा भी बन सकतें हैं.
तो निचोड़ क्या है?
Google Veo 3 एक गेम-चेंजर है, इसमें कोई शक नहीं। ये उस दिशा में एक बड़ा कदम है जहाँ AI आपकी कल्पना को सीधे वीडियो में बदल देगा। ये उन लोगों के लिए बहुत बड़ी खबर है जो क्रिएटिव हैं लेकिन जिनके पास बड़े बजट या रिसोर्स नहीं हैं।
लेकिन ये फिल्ममेकर्स की नौकरी छीनने नहीं आया है, बल्कि उन्हें और पावर देने आया है। अब उन्हें अपने दिमाग में चल रही दुनिया को स्क्रीन पर उतारना बहुत आसान हो जाएगा। तो भई, अगर आपके अंदर भी कोई कहानी पल रही है, तो तैयारी कर लो! Google का Veo 3 आ रहा है, और ये वीडियो मेकिंग की दुनिया को हिलाने वाला है!
इसके आलावा यदि आप चाहें तो RVC Model और Google I/O 2025 के प्रमुख अनाउंसमेंट के बारे में पढ़ सकते हैं.
पढ़ते रहिए टपोरी चौक, क्योंकि AI की दुनिया में और भी बहुत कुछ आने वाला है, और हम आपको सब कुछ आसान भाषा में बताते रहेंगे!
Google DSC के डेवलपर कम्युनिटी को लीड कर चुके शिवम सैंकड़ो लोगों को गूगल क्लाउड, web एवं एंड्राइड जैसी तकनीकों में प्रशिक्षण दे चुकें हैं. तकनिकी छेत्र में शिवम को महारत हासिल है. वे स्टार्टअप, सोशल मीडिया एवं शैक्षणिक विषयों पर टपोरी चौक वेबसाइट के माध्यम से जानकारियां साझा करतें हैं. वर्तमान में शिवम एक इंजिनियर होने के साथ साथ गूगल crowdsource के इन्फ्लुएंसर, टपोरी चौक एवं सॉफ्ट डॉट के संस्थापक इसके अलावा विभिन्न स्टार्टअप में भागीदारी निभा रहें हैं.