मेरे प्रिय कवि पर निबंध | Essay On My Favourite Poet

मेरे प्रिय कवि पर निबंध आपको आपके पसंदीदा कवि की कविताओ की खासियत, इसकी गहरे और कवि के पंक्तियों के पीछे छिपे हुए संदेशो को कागज पर उकेड़ने का मौका प्रदान करता है.

तो आप भी निचे दिए गए मेरे प्रिय कवि पर निबंध को प्रेरणा स्वरुप ले सकते है और एक बेहतर निबंध लिख सकते है.

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मेरे प्रिय कवि पर निबंध | Essay On My Favourite Poet

मेरे प्रिय कवि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। इसके अनेक कारण हैं, जो कम-से-कम मेरी मान्यताओं एवं रुचियों के अनुकूल हैं और वे अभी भी मुझे पसन्द हैं। मेरी दृष्टि में वह तो कवि है ही जो कोमलकान्त पदावली में सरस काव्य की रचना करता है, कल्पना की ऊँची उड़ाने भरता है और एक-से-एक नये ताजे बिम्बों की सृष्टि करता है। पर, मेरी दृष्टि में आदर्श या महान् कवि वह है जो इन विशेषताओं के साथ-साथ मानवतावादी मूल्यों में विश्वास करता है, निराशा जैसी कुण्ठित करनेवाली मनोवृत्तियों को दूर भगाता है, जो राष्ट्र के लोगों से सीधा संवाद तो करता ही है, उनको प्रेरणा से मरनेवाले चरित्रों, राष्ट्रीय इतिहास की घटनाओं एवं आदशों को सामने रखता है, जो राष्ट्र के अतीत से तो जुड़ा रहता ही है, उसके वर्तमान तथा भविष्य से भी जुड़ा रहता है। ऐसी ही मेरी और भी कई मान्यताएँ हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मेरी इन सारी कसौटियों पर खरे उतरते हैं, इसीलिए वे मेरे सबसे प्रिय कवि हैं ।

सरल भाषा शैली है मेरे प्रिय कवि की विशेषता

मैथिलीशरण गुप्त की काव्य-भाषा बेहद सरल है। सुननेवालों को समझने के लिए न तो माथापच्ची करनी पड़ती है और न शब्दकोश ही उलटना पड़ता है। यह सही है कि कहीं-कहीं उनकी यह सरलता महज तुकबन्दियों पर उतर आयी है।पर ऐसे काव्यस्थल बहुत थोड़े हैं, अन्यथा कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक बातें कहना कोई उनसे सीखे। जरा इन दो पंक्तियों को देखिए। महज इन दो पंक्तियों में ही भारतीय नारी की जीवन-गाथा जैसे मूर्त हो उठी है—

अवला जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी।

आंचल में है दूध और आँखों में पानी।

गुप्तजी जीवन में निराशा के पक्षधर नहीं हैं। अपनी एक कविता में वे कहते हैं- 

नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ नाम करो. 

वे राष्ट्र के एक सुयोग्य मेधावी सपूत तो हैं ही, अपने अन्य राष्ट्रवन्धुओं को भी जाग्रत करते हुए सचेत करनेवाले हैं। उनके प्रबोधकाव्य ‘भारत-भारती’ को इसका सहज ही साक्ष्य माना जा सकता है.

हम कौन थे, क्या हो गए, अब और क्या होंगे अमी आज विचार बाज मिलकर ये समस्याएँ सभी ॥ स्मरणीय है कि ये पंक्तियाँ तब कही गयी थीं जब हम पराधीन थे और आजादी हमलोगों से कोसों दूर थी।

उत्तरप्रदेश के चिरगाँव में हुआ था जन्म

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म सन् 1886 ई० में उत्तरप्रदेश के झांसी तहसील के चिरगाँव ग्राम में हुआ था। उनके पिता परम वैष्णव एवं आचरणों में संतवत् पुरुष थे । अपने पिता के व्यक्तित्व की सहज सरलता और वैष्णव भावना गुप्तजी के व्यक्तित्व पर अमिट छाप बनकर प्रकट हुई। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा घर पर ही हुई। उच्च विद्यालय तक की ही शिक्षा पाकर वे रुक गये । प्रारम्भ में उन्हें घोर आर्थिक संघर्ष झेलना पड़ा, पर धीरे-धीरे सब यथास्थान ठीक हो गया और उनकी काव्यसाधना अनवरत चलती रही अपनी काव्यकृतियों को उन्होंने स्वयं प्रकाशित करना भी शुरू किया, जो उनके उत्तराधिकारियों की देख रेख में आज भी सुचारूप से चल रहा है। गुप्तजी का देहान्त सन् 1964 ई० मे हुआ था।

मेरे प्रिय कवि की रचनाएँ

गुप्तजी की पहली काव्य-रचना ‘हेमन्त थी, जो आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संशोधित होकर उन्हीं के संपादकत्व में निकलनेवाले ‘सरस्वती’ मासिक में सन् 1905 में छपी थी। तब से अपने देहावसान तक उनकी लेखनी अनवरत चलती रही और स्वतन्त्र मुक्तक कविताओं के साथ अनेक काव्यानुवाद, वर्णनात्मक काव्य, खण्डकाव्य और महाकाव्य सामने आये, जिनकी एक संक्षिप्त तालिका नीचे दी जा रही है

मुक्तक काव्य 

1. भारत-भारती

2. किसान 

3. शंकार

4. मंगलघट

5. उच्छ्वास

6. त्रिपथगा 

काव्यानुवाद

1. मेघनादवध

2. पलासी का युद्ध

3. स्वाइयात-उमरखय्याम

4. विरहिणी व्रजांगना 

वर्णनात्मक काव्य

1. पंचवटी

2. प्रदक्षिणा

3. नहप

4. विष्णुप्रिया

5. सिद्धराज

6. पृथ्वीपुत्र

खण्डकाव्य एवं गीतिनाट्य

1. जयद्रथवध 

2. कुणाल-गीत

3. द्वापर

4. यशोधरा 

महाकाव्य 

1. साकेत

2. जयभारत

गुप्तजी खड़ीबोली को काव्योचित व्यक्तित्व प्रदान करनेवाले एवं छन्दों पर अपने असाधारण अधिकार से अपनी अनेक काव्यकृतियों द्वारा उसे समृद्ध बनानेवाले अग्रगण्य कवि हैं । गुप्तजी ऊँचे मानवतावादी मूल्यों के संस्थापक गायक कवि हैं। वे मानते हैं कि नरन्तन पाना एक दुर्लभ संयोग है। इसे पाकर सत्कर्म करना चाहिए।

चलते-चलते :

मेरे प्रिय कवि के अंतर्गत आपने जाना मेरे favourite poet मैथिलीशरण गुप्त के बारे में. आप चाहे तो इस निबंध को प्रेरणा स्वरुप लेकर अपने प्रिय लेखक पर निबंध लिख सकते है.

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