मंगलवार व्रत कथा : कथा सुनने से मिलेगा व्रत का पूरा फल

व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में सुख समृद्धि प्रशंसा इत्यादि पाने के हेतु मंगलवार का व्रत रखना और मंगलवार व्रत कथा सुनना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।
मंगलवार का व्रत हनुमान जी से जुड़ा हुआ है। इस व्रत को रखने से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही साथ संतान की भी प्राप्ति होती है। 
हनुमान जी को कलयुग का देवता माना गया है। अतएव हनुमान जी जी से जुड़े मंगलवार के व्रत को करने का अपना अलग ही महत्व है। 
व्रत के दौरान पूर्ण श्रद्धा से, मंगलवार व्रत कथा सुनने के बाद ही, व्रत का समापन करना चाहिये।
Mangalvar vrat katha

मंगलवार व्रत कथा:

दशकों पुराने समय की बात है, किसी अज्ञात नगर में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास करता था।
उनका जीवन हसी-खुसी से बित रहा था। दोनों अपने दाम्पत्य जीवन का आनंद ले रहे थे।
उनका सबसे बड़ा दुख यही था, कि उनकी कोई संतान नही थी। हर समय ये पुत्र की कमी ब्राह्मण दंपति को खलती रहती थी।
वह ब्राह्मण बजरंगबली जी का बहुत बड़ा भक्त था। हर मंगलवार के दिन, वो अमंगलहारी की आराधना हेतु वन में जाता था।
अपनी पूजा एवं आराधना के दौरान वो हनुमान जी से एक पुत्र की कामना किया करता था। 
उसकी पत्नी भी घर पर रहकर मंगलवार का व्रत रखा करती थी। बिना हनुमानजी को भोग चढ़ाए, वो अन्न का एक दाना भी ग्रहण नही करती थी।
लेकिन एक दिन ऐसा भी आया, जब वो व्रत के दिन भोजन नही बना सकी। जिस कारणवश वो हनुमान जी को भी भोग नही लगा सकी।
उसे इस बात का दुख पहुंचा और उसकी श्रद्धा जाग उठी। 
ब्राह्मणी ने यह प्राण लिया कि अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग चढ़ाने के बाद ही अन्न का कोई निवाला ग्रहण करेगी।
लेकिन 8 दिनों तक भूखा रहना संभव नही हो सका। उसका शरीर कमजोर पड़ता गया और सप्ताह के 6 दिन ही हुए थे, कि वो बेहोश हो गयी।
हनुमान जी उस ब्राह्मणी के भक्ति-भाव से प्रसन्न हुए और उस स्त्री के सामने प्रकट हो गए।
उन्होंने ने ब्राह्मणी से वरदान मांगने का अनुरोध किया। तो उस ब्राह्मणी ने पुत्र रत्न की प्राप्ति का वरदान मांगा।
हनुमान जी ने ब्राह्मणी को वरदान स्वरूप एक पुत्र दिया और कहा कि ये तुम्हारी सभी परिस्थितियों में खूब सेवा करेगा। 
हनुमान जी से आशीर्वाद स्वरूप बालक को पाकर ब्राह्मणी बहुत प्रसंन्न हुई। चुकी ये हनुमान जी के आशीर्वाद का फल था। उसने इस बालक का नाम मंगल रखा।
कुछ समय पश्चात जब ब्राह्मण घर को वापस आया तो उसने देखा कि घर मे एक बालक खेल रहा था। उसने अपनी पत्नी से बालक के बारे में पूछा।
तो ब्राह्मणी ने बताया कि ये बालक उसे हनुमान जी ने मंगलवार के व्रत से प्रसन्न हो कर आशीर्वाद स्वरूप दिया है।
लेकिन ब्राह्मण के मन में इस बात को लेकर अभी भी संका की स्थिति थी। उसे अपनी पत्नी के बातों पर भरोसा नही हुआ।
मौका देखकर ब्राह्मण उस बालक को चुपके से घूमाने ले गया और दूर किसी कुएं में फेंक आया।
जब ब्राह्मण घर आया तो उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि, मंगल कहाँ है ?
इसके प्रतिउत्तर में ब्राह्मण कुछ कहता इससे पहले ही पीछे से मंगल मुस्कुराते हुए घर मे आ गया।
ये देखकर ब्राह्मण अचंभित सा रह गया। उसे अपनी आँखों पर भरोसा नही हो रहा था, कि जिस बालक को अभी-अभी वो कुएँ में फेंक कर आया है। वो उसके  सामने खड़ा है।
अब ब्राह्मण की संका का समाधान करने का समय आ चुका था। उसी रात हनुमान जी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिया।
साथ ही उसे बताया, की हे ब्राह्मण तुम व्यर्थ ही संका कर रहे हो।  मंगल तुम्हारा ही पुत्र है। इसे मैंने तुम्हारी पत्नी के श्रद्धा एवं भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान स्वरूप दिया है। 
यह सुनकर ब्राह्मण बहुत ज्यादा प्रसन्न हुआ उसे इस बात का ज्ञान हो चुका था, कि मंगल उसी का पुत्र है और हनुमान जी के आशीर्वाद से वह उसके जीवन में आया है।
 इसके बाद से ब्राह्मण दंपत्ति की हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और भी ज्यादा पड़ गई और वह नियमित रूप से मंगलवार का व्रत रखने लगे। 
हर मंगलवार को वह उपवास रखते थे और अंत में हनुमानजी को भोग लगाकर ही भोजन ग्रहण किया करते थे। 

मंगलवार व्रत कथा समाप्त : जय बजरंगबली

तभी से लोग मंगलवार व्रत की महिमा का बखान करने हेतु, एवं हनुमान जी की कृपा दृष्टि पाने के लिए, मंगलवार व्रत रखने लगे।
साथ ही साथ वे व्रत के दौरान मंगलवार व्रत कथा का भी श्रवण किया करते थे। क्योंकि मंगलवार व्रत कथा का श्रवण करने से व्रत संपूर्ण होता है और मंगलवार के व्रत का पूरा फल मिलता है।
इस व्रत को रखने वाले मनुष्यों के सभी पाप नष्ट होते हैं और उनके ऊपर हनुमान जी की विशेष कृपा भी बरसती है।

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